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हिमाचल प्रदेश आर्थिक परिप्रेक्ष्य

  आर्थिक परिप्रेक्ष्य - हिमाचल प्रदेश के गठन के समय आर्थिक विकास तथा सामाजिक कल्याण की अपेक्षा राजनीतिक घटनाक्रम को ज्यादा तवज्जो मिली l किसी भी प्रदेश की समृद्धता व खुशहाली उसकी भौगोलिक स्थिति , राजनीतिक नेतृत्व तथा जनता की कार्यक्षमता व आचरण पर निर्भर करती है। वर्ष 1948 के पहले प्रदेश की अर्थव्यवस्था खंडित और असंगठित थी। प्रदेश छोटी-छोटी रियासतों में बंटा हुआ था और इन रियासतों के पास न तो उपलब्ध संसाधनों के दोहन का कोई विजन था और न ही कोई दृढ़ इच्छाशक्ति व संकल्प था। प्रदेश का जनमानस रूढ़िवादिता , अंधविश्वासों , विपरीत भौगोलिक जीवनशैली के कारण आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति तक ही संघर्षरत था। सड़के लगभग नदारद थी। आवागमन के लिए खच्चर , घोड़े , बकरी , कुत्ते इत्यादि पशुओं का इस्तेमाल किया जाता था। आर्थिक गतिविधियां लगभग नगण्य थी।

हिमाचल प्रदेश भौगोलिक परिप्रेक्ष्य

.. महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी .. हिमाचल प्रदेश के गठन के समय कुल जिले थे ?      - 4 ( मंडी , महासू , सिरमौर , चंबा) हिमाचल प्रदेश के गठन के समय कुल क्षेत्रफल था ?      - 27,018 वर्ग कि.मी. हिमाचल प्रदेश के गठन के समय कुल जनसंख्या थी ?        - 9,35 , 000 मुख्य आयुक्त के अधीन - 1948 से 1951 तक मुख्य आयुक्त - N.C मेहता (प्रथम) , E.P मून (द्वितीय) , भगवान सहाय (तृतीय) हिमाचल प्रदेश ' ग ' श्रेणी का दर्जा - 1951

हिमाचल प्रदेश ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

ऐतिहासिक घटनाओं का क्रमबद्ध अध्ययन 326 ई.पू. पंजाब के राजा पोरस ने सिकंदर के साथ झेलम नदी के किनारे हाइडेस्पी ज का युद्ध लड़ा I इस युद्ध में पोरस की हार हुई थी। 630 ई.पू. बिलासपुर व हण्डुर का युद्ध हुआ था। 900 ई.पू. कहलूर रियासत की स्थापना वीरचंद चंदेल ने की थी।   920 ई.पू. साहिल वर्मन ने चंबा शहर की स्थापना की थी।    1000 ई.पू. जेठपाल ने नूरपुर की स्थापना की थी। 1009 ई.पू. महमूद गजनवी ने कांगड़ा के किले पर आक्रमण किया था। 1100 ई.पू. जेठपाल ने हिण्डुर रियासत की स्थापना की गई थी। 1139 ई.पू. राजा रसालु ने सिरमौर रियासत की स्थापना की थी। 1365 ई.पू. राजा फिरोजशाह तुगलक ने कांगड़ा किले पर आक्रमण किया था।

हिमाचल प्रदेश राजनीतिक परिप्रेक्ष्य

  ·      राजनीतिक परिप्रेक्ष्य _ 1945 ई. तक प्रदेश भर में प्रजामंडलों का गठन हो चुका था। 1946 ई. में सभी प्रजामंडलों को Himalayan Hill State Regional Council - HHSRC में शामिल कर लिया तथा मुख्यालय मंडी में स्थापित किया गया। मंडी के स्वामी पूर्णानंद को अध्यक्ष , पदमदेव को सचिव तथा शिवानंद रमौल (सिरमौर) को संयुक्त सचिव नियुक्त किया। HHSRC के नाहन में 1946 ई. में चुनाव संपन्न हुए , जिसमें यशवंत सिंह परमार को अध्यक्ष पद के लिए चुना गया। जनवरी , 1947 ई. में राजा दुर्गा चंद (बघाट) की अध्यक्षता में शिमला हिल्स स्टेट्स यूनियन की स्थापना की गई। प्रजामंडल के नेताओं का शिमला में जनवरी , 1948 सम्मेलन हुआ। जिसमें डॉ. यशवंत सिंह परमार ने इस बात पर जोर दिया कि प्रदेश के निर्माण के लिए जनता-जनार्दन का सहयोग तथा दृढ़ संकल्प जरूरी है l   शिवानंद रमौल की अध्यक्षता में जनवरी , 1948 में हिमालयन प्रांत गर्वनमेंट की स्थापना की गई , जिसका मुख्यालय शिमला में था।  

हिमाचल प्रदेश सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य

  सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य _ हिमाचल प्रदेश एक बहुसांस्कृतिक और बहुभाषी राज्य है। विविधताओं में एकता प्रदेश के चप्पे-चप्पे में देखी जा सकती है। प्रदेशवासी अनेक भाषाओं को जानते हैं लेकिन मुख्य रूप से पहाडी तथा हिंदी में ही वार्तालाप तथा लेखन किया जाता है। हिंदू धर्म राज्य का मुख्य धर्म है। हिंदू संस्कृति और परंपरा प्राचीन इतिहास से यहां फली-फूली है। हिमाचल प्रदेश हिंदू भगवान और देवी देवताओं की पावन भूमि रही है। यहां लोगों का जीवन देवी-देवताओं के इर्द-गिर्द घूमता है। हिमाचल के लोगों के जीवन में त्योहारों का एक महत्वपूर्ण स्थान है। हिमाचल के लोग बड़े उत्साह के साथ स्थानीय त्योहारों और मेलो में भाग लेते हैं। अधिकांश मेले और त्यौहार विभिन्न मौसमी परिवर्तनों से जुड़े हुए है। प्रत्येक त्यौहारों की शुरुआत के साथ बहुत सी लोक कथाए भी जुड़ी है। ये मेले हिमाचल में ग्रामीण जीवन , मान्यताओं और लोकप्रिय रिवाजों में स्पष्ट झलक दिखाते हैं। प्रत्येक जिले में वार्षिक मेलो का आयोजन होता है जो उस क्षेत्र की ऐतिहासिक और सामाजिक पृष्ठभूमि से जुड़ा होता है।

हिमाचल प्रदेश व्यक्ति विशेष

डॉ. यशवंत सिंह परमार इनका जन्म  4  अगस्त  1906  को सिरमौर जिला के   बागथान   गांव में हुआ था। सिरमौर रियासत में सत्र न्यायाधीश के पद पर कार्यरत थे। वर्ष  1941  में इन्होंने इस पद से इस्तीफा दे दिया और राजनीति में प्रवेश किया।  24  मार्च  1952  को हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने। इनकी मृत्यु  2  मई  1981  को हुई थी।     हिमाचली नायक डॉ यशवंत सिंह परमार   वर्ष  1906   में जन्मे स्वतंत्रता सेनानी डा. यशवंत सिंह परमार ने सिरमौर के एक छोटे से गांव   चनालग   में जन्म का हुआ था। सिरमौर की रियासत में  11  साल तक सब   जज और मजिस्ट्रे ट   रहे। न्यायधीश के रूप में  1937  से  1941  तक सेवाएं दी। डा. यशवंत सिंह परमार के प्रयासों से ही   15  अप्रैल , 1948  को  30  रियासतों का विलय   हो सका ,  हिमाचल प्रदेश अस्तित्व में आया।  25  जनवरी , 1971  को इस प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला। डा. परमार पहली बार   वर्ष  1952  से  1956   तक हिमाचल के मुख्यमंत्री रहे। वर्ष  1957  में   सांसद   तथा जुलाई , 1963  से  24  जनवरी , 1977  तक हिमाचल के मुख्यमंत्री के पद पर रहे। हिमाचल प्रदेश का संस्थापक क

हिमाचल प्रदेश के सरकारी विभाग

महाधिवक्ता विभाग _ हिमाचल प्रदेश का महाधिवक्ता विभाग वर्ष 1971 में अस्तित्व में आया। राज्य के लिए महाधिवक्ता की नियुक्ति भारत के संविधान के अनुच्छेद 165 (1) के तहत की जाती है। नियुक्ति का दायित्व संबंधित राज्य के राज्यपाल को दिया गया है l   पशु विभाग _ पशुपालन तथा दुग्ध से सम्बंधित गतिविधियां मनुष्य जीवन का एक अभिन्न अंग रही है l हिमाचल प्रदेश में पशुधन अधिक संख्या में उपलब्ध है तथा प्रदेश में पशुपालक अपनी आजीविका के लिए पशुपालन गतिविधियों से जुड़े हैं l 19 वीं पशुधन जनगणना- 2012 के अनुसार हिमाचल प्रदेश में कुल पशुधन सँख्या 48,44,431 है। पशुपालन विभाग का गठन प्रदेश में 1948 में किया गया। हिमाचल प्रदेश के अस्तित्व में आने के समय प्रदेश में केवल 9 पशु चिकित्सालय थे l वर्ष 1951 में गायों की नस्ल सुधार हेतु कई कार्यक्रम अखिल भारतीय मुख्य ग्राम योजना के तहत आरम्भ किये गए तथा दो प्राकृतिक गर्भाधान केन्द्र कोटगढ़ तथा सोलन में स्थापित किये गए , जहाँ लाल सिंधी नस्ल के बैलों को नस्ल सुधार ( Cross Breeding) कार्यक्रम के लिए रखा गया l वर्ष 1954-55 में पहली बार जर्सी वीर्य हवा