वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका का उल्लेख कीजिए?
वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कदम का वर्णन कीजिए?
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Covid 19 महामारी के दौरान भारत की अंतरराष्ट्रीय मंचो पर बढ़ते वर्चस्व का आंकलन कीजिए?
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वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका का उल्लेख कीजिए?
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वैश्विक मंच पर भारत की कूटनीति कितनी सफल हो पाई है। आंकलन कीजिए?
इन दिनों जहां सारा विश्व कोरोनावायरस से लड़ रहा है वहीं भारत इस महामारी से लड़ने के साथ-साथ वैश्विक मंच पर अपनी पहचान एक विश्व गुरु के रूप में बना रहा है । हाल ही में गुटनिरपेक्ष आंदोलन समूह द्वारा शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया, इस आभासी सम्मेलन की मेजबानी अजरबैजान ने की। इस सम्मेलन में 30 से अधिक राष्ट्र अध्यक्षों ने भाग लिया । हमारे देश की तरफ से इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भाग लिया औऱ उन्होंने सदस्य देशों से कोविड-19 रूपी महामारी से लड़ने के लिए अपने अनुभवों और सुझावों को साझा करने के साथ साथ ही शोध एवं संसाधनों के क्षेत्र में सहयोग करने को बढ़ावा देने के लिए कहा।
गुटनिरपेक्ष आंदोलन समूह का नया रूप -जिसको "नाम-2.0" भी कहा जा रहा है ,इकीसवीं सदी में भारत की विदेश नीति के मूल सिद्धांतों की पहचान करवाता है और हमारे देश को रणनीतिक स्वायत्तता के साथ साथ ही मूल्य प्रणाली को सहेज कर रखने में मददगार है ।
इन्हीं विशेषताओं के कारण ही हमारा देश विश्व मंच पर एक अग्रणी देश बन कर सामने आया है ।
अभी हाल ही में भारत सरकार और एशियाई इन्फ्राट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक ने कोरोना से निपटने के लिए 500 मिलियन डॉलर की "कोविड -19 आपातकालीन उपाय एवं स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी परियोजना " संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर किए । इस परियोजना के तहत भारत के सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया है।
हमारा देश "वसुधैव कुटुंबकम" परंपरा का अनुसरण करता है, इसी के तहत कोरोना की बीमारी से निपटने के लिए भारत द्वारा 120 से अधिक देशों को बिना शर्त चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई गई है । खुद इस महामारी से लड़ते हुए भी हमारे देश ने 120 देशों की सहायता की। 120 में से 43 देशों को इस सहायता को अनुदान के रूप में उपलब्ध कराया गया है। कोविड-19 महामारी के चलते 10 मिलियन यूएस डॉलर का कोविड-19 इमरजेंसी फंड बनाया गया है इस फंड का उपयोग पड़ोसी देशों को तत्काल चिकित्सा सहायता उपकरण और मानवीय सहायता देने के लिए किया जा रहा है । हमारा देश डिजिटल तकनीकों का उपयोग करते हुए सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञता की क्षमता को भी बाकी देशों से साझा कर रहा है। हाल ही में भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी को विभिन्न कार्यक्रमों, सेवाओं और बुनियादी सुविधाओं जैसे शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए दो मिलियन डॉलर की वित्तीय सहायता दी थी। भारत का यह योगदान संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी की फंडिंग की कमी के कारण उत्पन्न हुए वित्तीय संकट से निपटने में मदद
करेगा।
फिलिस्तीन शरणार्थियों के रूप में उन व्यक्तियों को नामित
किया जाता है, जिनका निवास स्थान 1 जून, 1946 से 15 मई, 1948 की अवधि के दौरान फिलिस्तीन था और जिन्होंने 1948 के संघर्ष के कारण घर और आमदनी दोनों को खो दिया था। इन शरणार्थियों के कल्याण के लिए काम करने वाली संस्था संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी ने कोविड-19 संकट से पैदा हुई परिस्थितियों में बुनियादी सेवाओं को चालू रखने के लिए भारत द्वारा दी जा रही वित्तीय सहायता की सराहना की औऱ कहा कि भारत द्वारा दी गई फंडिंग स्वागत योग्य कदम है अभी की परिस्थितियों को देखते हुए इस फंडिंग से फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए बेहतर कार्यक्रमों औऱ नीतियों का गठन किया जा सकता है ।
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन की 73वीं वार्षिक विश्व स्वास्थ्य सभा का जिनेवा( स्विट्जरलैंड) में आयोजन किया गया। भारत ने विश्व स्वास्थ्य सभा में कोविड-19 से संबंधित जांच के लिए यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया के नेतृत्व में 62 देशों के गठबंधन का समर्थन किया। मार्च 2020 में ही जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन में सुधार , पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकताओं पर जोर दिया गया था। जी-20 के देशों द्वारा कोविड-19 महामारी से निपटने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए शिखर सम्मेलन का आयोजन सऊदी अरब की अध्यक्षता में किया गया इसमें जी-20 समूह के देशों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेतृत्व वाले कोविड-19 एकजुटता प्रतिक्रिया कोष मेंं 5 ट्रिलियन डॉलर डॉलर से अधिक धन के योगदान की प्रतिबद्धता जाहिर की थी। जी-20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक और वित्तीय एजेंडा के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक मुख्य मुख्य मंच है औऱ वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 80% , वैश्विक व्यापार के 75% तथा पूरे विश्व की जनसंख्या के दो तिहाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है । इस मौके पर भी भारत ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन सहित अन्य प्रणालियों को मजबूत कर किए जाने की आवश्यकता है औऱ वायरस के लिए कोई अंतरराष्ट्रीय सीमा नहीं होती है इसीलिए इस महामारी से लड़ने के लिए पारदर्शी, मजबूत औऱ विज्ञान आधारित वैश्विक प्रतिक्रिया के साथ एकजुट होने की जरूरत है। जी-20 जैसे मंच का उपयोग इस महामारी रूपी चुनोती से निपटने के लिए किया जाना चाहिए।
हमारे देश ने "ऑपरेशन संजीवनी" नामक एक अभियान भी चलाया था जिसमें भारतीय वायु सेना ने ऑपरेशन संजीवनी के माध्यम से आवश्यक दवाइयों तथा अस्पतालों के उपयोग संबंधी 6.2 टन सामग्री को मालदीव तक पहुंचाया था। मालदीव की सरकार के अनुरोध पर भारतीय वायुसेना ऑपरेशन संजीवनी शुरू किया तथा परिवहन विमान के माध्यम से इस सामग्री को मालदीव पहुंचाया । भारतीय सेना का 14 सदस्य मेडिकल दल एक वायरल परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करने के लिए मालदीव भी गया था, इसके साथ-साथ भारत सरकार द्वारा मालदीव को 5.5 टन आवश्यक दवाएं उपहार के रूप में दी गई।
हाल ही में यूरोप के एक देश एस्टोनिया में आयोजित हो रही “हैक द क्राइसिस” नामक कार्यक्रम की तर्ज पर भारतीय केंद्र सरकार ने “हैक द क्राइसिस- इंडिया” नामक ऑनलाइन हैकाथॉन शुरू की थी। इस हैकाथॉन का उद्देश्य कोरोनावायरस के लिये एक व्यावहारिक समाधान खोजना और इस महामारी के खिलाफ लड़ाई को और मज़बूत बनाना है। इस महामारी के समय में भी भारत की जी-20 में सक्रिय भूमिका यह दर्शाती है कि वैश्विक स्तर पर भारत विश्वगुरु बनने की राह पर है और इस महामारी के समय में भी बाकी देशों की यथासंभव मदद कर रहा है।
लेखक- प्रत्यूष शर्मा
ईमेल- ankupratyush5@gmail.com
Contact-7018829557
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