केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के परिसर निर्माण की उम्मीद जगी, विवि के कुलपति प्रो. एसपी बंसल की सक्रियता से दूर हुई अड़चनें 

केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला की स्थापना भारतीय संसद द्वारा पारित केन्द्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009 के तहत की गई है। प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2009 को राष्ट्र को दिए गए भाषण में प्रत्येक वैसे राज्यों में एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रावधान किया, जहां अब तक कोई केन्द्रीय विश्वविद्यालय नहीं है।

इस घोषणा के उपरांत हिमाचल प्रदेश को भी अपनी स्थापना के 61 वर्षों बाद केंद्रीय विश्वविद्यालय प्राप्त हुआ। हिमाचल प्रदेश में यह सरकारी क्षेत्र का दूसरा विश्वविद्यालय बना, इस विश्वविद्यालय से प्रदेश के हजारों विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा की प्राप्ति की एक नई उम्मीद जगी थी, लेकिन राजनीतिक कलह व वोट बैंक की राजनीति ने विश्वविद्यालय के मार्ग में अनेकों बाधाएं उत्पन्न हुई। वर्तमान में यह विश्वविद्यालय धर्मशाला, शाहपुर तथा देहरा कैंपस में चल रहा है। वर्ष 2009 से लेकर अब तक पूर्ण रूप से इस विश्वविद्यालय का भूमि विवाद नहीं सुलझ पाया। 28 जुलाई 2021 को इस विश्वविद्यालय के कुलपति का कार्यभार प्रो. एसपी बंसल ने संभाला। प्रो. एसपी बंसल के विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर सेवाकाल के दौरान तकनीकी शिक्षा एवं गुणवत्ता प्रोग्राम (एटीयू) के तहत हिमाचल प्रदेश तकनीकी विवि हमीरपुर को देशभर में उत्कृष्ट स्थान दिलाया था। यह इनके कार्यकाल का पांचवा विश्वविद्यालय है जिसमें कुलपति का कार्यभार संभाल रहे हैं। प्रो. एसपी बंसल के पद ग्रहण के उपरांत उम्मीद जताई जा रही थी, कि शीघ्र ही इस विश्वविद्यालय के निर्माण का कार्य तथा आधारभूत आवश्यकताओं की सुविधाओं में तीव्र वृद्धि देखने को मिलेगी। प्रो. बंसल द्वारा सबसे पहले  सभी शिक्षकों को नियमित रूप से कक्षाएं लगाने के लिए सख्त आदेश जारी किए। अनियमितताएं बरतने पर कठोर कदम भी उठाए, जिससे वर्तमान में इस विश्वविद्यालय में आधारभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहे विद्यार्थियों को कम से कम शिक्षकों के मार्गदर्शन में कोई कमी

न रहे, इस कार्य को धरातल पर सही व समुचित ढंग से उतारा गया। इसके लिए कुलपति द्वारा समय-समय पर देहरा तथा शाहपुर के कैंपस में छापेमारी भी की गई। इसके काफी सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं।
अब इस विश्वविद्यालय में अध्यापकों द्वारा पूर्ण ईमानदारी तथा सजगता के साथ पढ़ाई करवाई जा रही है, लेकिन कहीं न कहीं शिक्षक वर्ग तथा विद्यार्थियों में कैंपस की कमी का दर्द साफ झलकता है। प्रो. बंसल नियमित रूप से इस विद्यालय के भूमि विवाद को सुलझाने के लिए केंद्रीय तथा प्रदेश के नेताओं से जुड़े रहे। जदरांगल और देहरा की जमीन का निरीक्षण करने के बाद 12-12 सदस्यों की टीमों का गठन किया है। फरवरी 2021 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की हाई पावर कमेटी ने जदरांगल और देहरा की जमीन का निरीक्षण किया था और प्रशासन को रिपोर्ट सौंप दी थी। अंततः केंद्रीय विश्वविद्यालय के देहरा में परिसर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से देहरा में विवि को 81 हेक्टेयर वन भूमि पर कब्जा विवि प्रशासन को  प्राप्त हुआ। 70 फीसदी कैंपस देहरा और 30 फीसदी धर्मशाला कैंपस मंजूर किया गया है। इसका एनओसी भी दे दिया गया है। सारी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। करीब 11 साल से अधिक समय से विवि प्रशासन इसके लिए प्रयासरत रहा। देहरा में विवि को 81 हेक्टेयर वन भूमि और 34 हेक्टेयर गैर वन भूमि मिली है।

हिमाचल प्रदेश ज्योग्राफिकल दृष्टि से विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों वाला प्रदेश है। यहां के जनमानस के पास बहुत ही कम आजीविका सृजित करने के साधन उपलब्ध होते हैं, लेकिन फिर भी हिमाचली जनमानस वैश्विक पटल पर एक ईमानदार व कर्मठ व्यक्तित्व की छाप से जाना जाता है। इस पहाड़ी प्रदेश का विद्यार्थी अपनी कड़ी मेहनत व शैक्षणिक संस्थानों की अनदेखी के कारण भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने में कामयाब होता रहा है। हिमाचल प्रदेश में हर वर्ष काफी संख्या में विद्यार्थी नेट तथा रिसर्च फैलोशिप क्वालीफाई करते हैं। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला इसमें एक अग्रणी है। हिमाचल प्रदेश के अभ्यर्थियों को अन्य राज्यों की तरह उत्कृष्ट लाइब्रेरी की सुविधाएं, अध्ययन सामग्री व सूचना प्रौद्योगिकी से लैस तकनीकी सहायता भी नहीं मिल पाती। ऐसे में भी यदि कोई प्रतिभाशाली विद्यार्थी राष्ट्रीय स्तर पर रिसर्च फैलोशिप प्राप्त करता है, तो यह काबिले तारीफ माना जा सकता है। हिमाचल प्रदेश में उच्च शिक्षा के बहुत ही कम संस्थान है, यदि कोई विद्यार्थी किसी विषय में डॉक्टरेट करना चाहता है तो उसके पास हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला ही एकमात्र विकल्प था। वर्ष 2009 से केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला की स्थापना के उपरांत हजारों विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त हुआ था, लेकिन कैंपस विवाद के कारण यह विश्वविद्यालय कछुआ चाल में आगे बढ़ा। 
एक दशक के काल में अनेकों विद्यार्थी उच्च शिक्षा की आधारभूत शिक्षा से वंचित रहे तथा प्रदेश में भी शोध के कार्य  नगण्य रहे, उच्च शिक्षा का मुख्य उद्देश्य वर्तमान सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक तथा धार्मिक समस्याओं पर शोध करके जनमानस के कल्याण की रूपरेखा का निर्धारण करना होता है, लेकिन इस विश्वविद्यालय की स्थापना की मूल परिणाम सामने नहीं आ पाए हैं। अब केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बंसल द्वारा पिछले कुछ समय से भूमि विवाद को सुलझाने के लिए सक्रियता दिखाई है। ऐसे में प्रदेश के हजारों विद्यार्थी प्रशासन तथा राजनीतिक नेतृत्व से यह मांग करते हैं कि इस विश्वविद्यालय के कैंपस के निर्माण का कार्य अति शीघ्र कराया जाए, ताकि यह विश्वविद्यालय आने वाले एक वर्ष में अपने कैंपस में सुचारू रूप से चल सके। प्रदेश का गरीब व असहाय विद्यार्थियों के उच्च शिक्षा के मार्ग को भी साकार हो सकें। इस उम्मीद के साथ प्रदेश सरकार शीघ्रता से इस विश्वविद्यालय के भवन निर्माण के कार्य को धरातल पर उतारे
- कर्म सिंह ठाकुर, धर्मशाला। 

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