22/05/2021 - हिमाचल करंट अफेयर्स
मौन अनुसंधान केंद्र नगरोटा बगवां की स्थापना कब की गई थी?
- वर्ष 1936
व्याख्या : इसी केंद्र से मौनपालन के लिए इटालियन मधुमक्खी एपिस मैलिफेरा को देश में पहली बार प्रचलन में लाया गया था।1986 से विवि में कृषि मंत्रालय द्वारा प्रायोजित विभिन्न राज्यों के स्रोत कर्मियों को मौन अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों की मदद से राष्ट्रीय स्तर का मौन पालन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उच्च औषधीय गुणों वाले ‘सफेद शहद’, ‘कत्था शहद’ ‘जंगली थाइम शहद’ और ‘लीची शहद’ को जीआई सांकेतक लेबल के साथ उत्पादन को बढ़ाकर बेहतरीन परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। नगरोटा बगवां स्थित कृषि विवि के मौन अनुसंधान केंद्र को बी हेरीटेज फार्म में स्तरोन्नत करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
शूलिनी विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के किस जिला में स्थित है?
- सोलन
प्राकृतिक खेती के तहत उड़द, कुलथ व राजमाह का कितना बीज तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
- 42 हेक्टेयर क्षेत्र
व्याख्या : प्रदेश में इस वर्ष खरीफ मौसम में 19,000 हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 37,240 मीट्रिक टन दलहनों के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है, ताकि प्रदेश को इस दिशा में आत्मनिर्भर बनाया जा सके
कांगड़ा जिला के अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश के किन जिलों में चाय का उत्पादन किया जा रहा है?
- बिलासपुर, हमीरपुर, मंडी व चंबा
व्याख्या : पिछले वित्त वर्ष में प्रदेश में चाय की 10.85 लाख किलो पैदावार हुई। पालमपुर में 10.50 लाख तो मंडी के जोगेंद्रनगर में 30 हजार किलो चाय तैयार हुई। प्रदेश में चाय का इतिहास 1850 से जुड़ा है, जब कांगड़ा और जोगेंद्रनगर में चाय के पौधे पहुंचे थे। हिमालय व्यू फैक्टरी पालमपुर और धर्मशाला की भाटी इस्टेट चाय कंपनी निजी क्षेत्र में उत्पादन कर रही है। हिमाचल में पैदा होने वाली चाय दार्जिलिंग चाय के समान ही गुणात्मक है।
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