हिमाचल प्रदेश आर्थिक परिप्रेक्ष्य
आर्थिक परिप्रेक्ष्य-
हिमाचल प्रदेश के गठन के समय आर्थिक विकास तथा सामाजिक कल्याण की
अपेक्षा राजनीतिक
घटनाक्रम को
ज्यादा तवज्जो मिलीl किसी भी प्रदेश की समृद्धता व खुशहाली उसकी भौगोलिक स्थिति, राजनीतिक नेतृत्व तथा जनता की कार्यक्षमता व आचरण पर निर्भर करती है।
वर्ष 1948 के पहले प्रदेश की अर्थव्यवस्था खंडित और
असंगठित थी। प्रदेश छोटी-छोटी रियासतों में बंटा हुआ था और इन रियासतों के पास न
तो उपलब्ध संसाधनों के दोहन का कोई विजन था और न ही कोई दृढ़ इच्छाशक्ति व
संकल्प था।
प्रदेश का जनमानस रूढ़िवादिता, अंधविश्वासों, विपरीत भौगोलिक जीवनशैली के कारण आधारभूत आवश्यकताओं की पूर्ति तक ही संघर्षरत था। सड़के लगभग नदारद थी। आवागमन के लिए खच्चर, घोड़े, बकरी, कुत्ते इत्यादि पशुओं का इस्तेमाल किया जाता था। आर्थिक गतिविधियां लगभग नगण्य थी।
हिमाचल की हसीन-वादियां महज राजा-महाराजाओं तथा ब्रिटिश हुकूमत के दीदार तक ही
सीमित रह गई थी।
प्रदेश की अर्थव्यवस्था मुख्यत: कृषि व सबंधित क्षेत्रों पर निर्भर थी। मौसम
की अनियमितताएं, जटिल
भौगोलिक जीवन शैली, निर्धनता बदहाली, रूढ़िवादिता,
अंधविश्वास के कारण प्रदेश की जनता नीरस जीवन-यापन करने के
लिए मजबूर थी। पृथक प्रदेश के गठन से जनता में जागरूकता का सूर्य उदय हुआ और सीढ़ीदार खेतों पर बैलों से खेती तथा समृद्ध व स्वास्थ्यवर्धक
वातावरण की अनुकूलता में बागवानी से आर्थिक विकास के लिए सार्थक प्रयासों का
शुभारंभ हुआ।
वर्ष 1948 से कृषि के साथ प्रदेश के विकास का पहिया दौड़ना
शुरू हुआ। आज प्रदेश विकासशील राज्यों की श्रेणी में अग्रणी राज्य का प्रतिनिधित्व
करता है। वर्तमान हिमाचल की कृषि, बागवानी, वानिकी, यातायात,
औद्योगिकरण, पर्यटन, जल-विद्युत
परियोजनाओं के साथ-साथ शिक्षा कुंज के रूप में ख्याति प्राप्त कर रहा है।
वर्ष 1948 में प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 240 रुपए, राज्य सकल घरेलू उत्पाद 26 करोड रुपए, साक्षरता दर 7%, ग़ावों में बिजली की पहुंच 6%, सड़क मार्ग महज 228 किलोमीटर, शिक्षण संस्थाएं मात्र 200 तथा 331 गांव में पेयजल की सुविधा उपलब्ध थी।
प्रदेश की अर्थव्यवस्था कृषि तथा बागवानी पर
पूर्ण रूप से निर्भर है। इसी से अधिकांश (91.3%) लोगों
को रोजगार प्राप्त होता है। प्रदेश की आर्थिक विकास दर रियासतों के शासकों की
दोषपूर्ण प्रवृत्ति, भाग्यवती दृष्टिकोण, सनक भरे
कामों और काल्पनिक व उदासीन नजरिए के कारण पिछल्गू राज्य की छवि का तमगा झेलने को
मजबूर हुई।
वर्ष 1948 में मुख्य आयुक्त के नेतृत्व में सामंती
व्यवस्था के विघटन तथा नवीन सृजित नौकरशाही प्रणाली में सामंजस्य, भविष्योन्मुखी
दृष्टिकोण न होने के कारण आर्थिक विकास दर अपेक्षाकृत बहुत धीमी रही।
वास्तव में वर्ष 1951 में प्रदेश को पार्ट-सी श्रेणी का दर्जा मिलने से प्रदेश की आर्थिक
विकास की यात्रा प्रारंभ होती है। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ तथा प्रथम
पंचवर्षीय योजना की रूपरेखा भी निर्धारित हुई। हिमाचल में प्रथम पंचवर्षीय
योजना दोषपूर्ण आंकड़ों पर आधारित होने के कारण प्रदेश की वास्तविक समस्याओं से
कोसों दूर रही।
प्रथम पंचवर्षीय योजना का कुल व्यय 5 करोड रुपए था। इसका 50% से
अधिक भाग सड़कों के निर्माण पर लगा जोकि पहाड़ी जनमानस की प्रथम बुनियादी आवश्यकता
थी।
प्रदेश के नीति निर्माताओं ने जनता को आर्थिक, सामाजिक उन्नति की प्रक्रिया में अधिकाधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के अवसर दिए। जिससे जनमानस में जागरूकता उजागर हुई तथा सरकार से विकास की गति को तीव्र करने की मांगे उठने लगी।
नीति-निर्माताओं का दृष्टिकोण उपलब्ध संसाधनों के मूल्यांकन
तथा वैज्ञानिक दोहन को भापॅने में नाकाम रहा। फलस्वरूप अधिकांश योजनाएं
विश्वसनीयता आंकड़ों के अभाव के मकड़जाल में फंसी रही।
मात्र संसाधनों की उपलब्धता ही काफी नहीं होती बल्कि उनकी
पहचान, समुचित
मूल्यांकन, वैज्ञानिक दोहन, व्यवस्थित विकास तथा प्रौद्योगिकी और पूंजी के
व्यवहार द्वारा उनका उपयोग भी आवश्यक होता है।
हिमाचल में नियोजन का युग सन् 1951 से शेष भारत के साथ ही आरंभ हुआ। वर्तमान
हिमाचल का चौमुखी विकास नियोजित दृष्टिकोण का आशातीत परिणाम है।
हिमाचल के कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में सन् 1952
से आरंभ हुए सामूहिक विकास कार्यक्रम आगे चलकर समूचे ग्रामीण क्षेत्र में लागू
किया गया।
वर्तमान आर्थिक परिप्रेक्ष्य में प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र से उद्योग व सेवा क्षेत्रों के पक्ष में रुझान पाया क्योंकि कृषि क्षेत्र का कुल सकल घरेलू उत्पाद में योगदान वर्ष 1950-51 में 57.9% से घटकर वर्ष 1990 में 26.5% तथा वर्ष 2017-18 में 8.8% रह गया।
वहीं दूसरी ओर उद्योग व सेवा क्षेत्र से सकल
घरेलू उत्पादन में योगदान निरंतर बढ़ रहा है। वर्ष 1950-51 में उद्योग क्षेत्र का योगदान 1.1% से बढ़कर वर्ष 2017-18 में 29.2% तक पहुंच गयाl वर्ष 1950-51 में सेवा क्षेत्र का योगदान 5.9%
से बढ़कर वर्ष 2017-18 तक 45.3% हो गया।
कृषि क्षेत्र से घट रहे अंशदान के बावजूद प्रदेश की
अर्थव्यवस्था में इस क्षेत्र के महत्त्व पर कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। कृषि
व संबंधित क्षेत्रों में आज भी रोजगार के अनेकों अवसर विद्यमान है। प्रदेश सरकार
सिंचाई, मौसम
संबंधी जानकारी में आधुनिक तकनीकों से कृषि व्यवस्था के उत्थान में सजग भूमिका का
निर्वहन सुनिश्चित कर रही है।
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 89.96% आबादी ग्रामीण परिवेश में जीवन यापन करती है। जोकि संपूर्ण भारत में किसी राज्य की सबसे ज्यादा
ग्रामीण जनसंख्या भी है।
आज हिमाचल ग्रामीण कृषि व्यवस्था तथा बागवानी के क्षेत्र में नित नए आयाम स्थापित कर रहा है। चाहे जैविक खेती की बात करें या बागवानी क्षेत्र में फलोत्पादन की बात करें हिमाचल प्रदेश का ग्रामीण क्षेत्र अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका का निर्वहन कर रहा है।
हिमाचल प्रदेश अपने मेहनतकश, भोले-भाले ईमानदार लोगों तथा केंद्र व राज्य
सरकार की प्रगतिशील नीतियों के कारण देश में जीवंत अर्थव्यवस्था का मार्ग प्रशस्त
कर रहा है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को संपन्न तथा तीव्र
गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में जाना जाता है। अभी भी हिमाचल प्रदेश में
उपलब्ध संसाधनों के वैज्ञानिक दोहन व तकनीकों के अनुसंधान की विशेष आवश्यकता है।
हिमाचल
प्रदेश का वर्तमान आर्थिक विश्लेषण प्रदेश
सरकार के बजट तथा आर्थिक
सर्वेक्षण से
प्राप्त आंकड़ों के आधार पर किया जा सकता है। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में मंडी
जिला से संबंध रखने वाले श्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व में भारतीय जनता
पार्टी की सरकार है।
06 मार्च
2020 को
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा अपने कार्यकाल का तीसरा बजट
विधानसभा के पटल पर रखा। हिमाचल प्रदेश के इतिहास में यह पहला
पेपरलेस बजट
था।
हिमाचल प्रदेश के संपूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त करने के 50वें उपलक्ष्य पर वर्ष 2020-21 हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा "स्वर्ण जयंती" वर्ष के रूप में बनाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री
श्री जयराम ठाकुर द्वारा अपने कार्यकाल का 41,440 करोड़ रुपये का पहला बजट 9 मार्च
2018 को
पेश किया था। इस बजट में 30 नई योजनाओं को शुरू करने का एलान किया गया था।
जयराम
ठाकुर द्वारा 10
फरवरी 2019 को अपने कार्यकाल का दूसरा
44,387 करोड़
रुपये का
बजट पेश किया था। वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए 6 मार्च
2020 को
जयराम ठाकुर द्वारा 49,131 करोड रुपए का
बजट विधानसभा के पटल पर रखा तथा 25 नई योजनाओं
का ऐलान भी किया। गत वर्ष की तुलना में प्रदेश के बजट में 9% वृद्धि
दर्शाई गई है। पिछले 3 वर्षों
में अनेकों नई योजनाएं हिमाचल प्रदेश की जनता के सामने प्रदेश सरकार
लाई।
सरकार
की योजनाओं की सफलता का अंदाजा चुनावों में जनता के समर्थन से लगाया जाता है। प्रदेश
में भारतीय जनता पार्टी द्वारा सत्ता संभालने के बाद 2 साल
के कार्यकाल में जयराम सरकार द्वारा मई 2019 लोकसभा
के चुनावों में
चारों सीटें बड़े अंतर से जीतकर जनता का विश्वास पर खरे उतरने का परिणाम पाया।
उसके उपरांत सिरमौर
जिला के पच्छाद तथा कांगड़ा
जिला के धर्मशाला से उपचुनाव जीतकर पुनः विधानसभा में सीटों की
संख्या 44 बरकरार
रखी।
जयराम
सरकार द्वारा डॉ. राजीव
बिंदल को
विधानसभा अध्यक्ष से हटाकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी
दी गयी। 22
मई 2020 को इन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे
दिया।
कांगड़ा
जिला से संबंध रखने वाले श्री विपिन
सिंह परमार को
हिमाचल प्रदेश विधानसभा का नया अध्यक्ष बनाया गया।
विकास की गाड़ी राजनीतिक स्थायित्व के का
रण तेज गति से दौड़ती है। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी को प्रदेश की जनता ने स्पष्ट बहुमत दिया है ताकि प्रदेश सरकार अपनी संपूर्ण ऊर्जा प्रदेश के आर्थिक उत्थान उत्थान में लगा सके।केंद्र
में भी भाजपा की सरकार कार्यरत है तथा भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री जगत
प्रकाश नड्डा भी हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला
से संबंध रखते हैं। हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल
के सुपुत्र श्री
अनुराग ठाकुर केंद्र सरकार में राज्य
वित्त मंत्री है। ऐसे में प्रदेश सरकार को हिमाचल प्रदेश की
आर्थिक स्थिति को बेहतर करने के लिए केंद्र से भी भरपूर सहायता मिल सकती है।
हिमाचल
प्रदेश में जयराम सरकार द्वारा गत वर्ष अपने कार्यकाल के 2 वर्ष
पूरे किए। सरकार नए बजट के रूप में तीसरे वर्ष की रूपरेखा का निर्धारण
कर चुकी है।
वर्ष 2020 में हिमाचल प्रदेश में पंचायतों के चुनाव भी प्रस्तावित है तथा वर्ष 2022 में विधानसभा के चुनाव होंगे।
वर्ष 2022 के बजट में "जनमंच
कार्यक्रम" तथा "मुख्यमंत्री
सेवा संकल्प योजना" के माध्यम से शिकायतों के संतोषजनक निवारण
तथा 7 और
8 नवंबर
2019 को
धर्मशाला में आयोजित इन्वेस्टर मीट के
माध्यम से 97,700
करोड रुपए
के निवेश समझौता ज्ञापनो को बड़ी उपलब्धि के रूप में दर्शाया गया है।
वहीं
वर्ष 2019 के दौरान हिमाचल प्रदेश की प्रति
व्यक्ति आय ₹1,95,255 रहने का अनुमान भी लगाया
गया है जो कि राष्ट्रीय स्तर पर 60,205 रुपए
अधिक है।
वर्ष 2019-20 में
विकास दर 5.6%
रहने
का अनुमान जताया गया है। जबकि भारत की विकास दर 5% रहने का अनुमान है।
विधायकों की विधायक निधि को ₹8 लाख से बढ़ाकर ₹10 लाख कर दिया गया। विधायक क्षेत्र विकास निधि 1 करोड़ 5 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ 75 लाख कर दी गई। चुने हुए माननीय विधायकों के माध्यम से विकास को तवज्जो दी गई है।
बजट
भाषण में उन्नति, पंचवटी, महक, हिम
कुक्कुट पालन योजना, ज्ञानोदय, उत्कृष्ट, स्वस्थ
बचपन,
बाल पोषाहार टॉप अप योजना जैसी
नई योजना की घोषणा भी की गई है।
15वें वित्त आयोग द्वारा भी हिमाचल प्रदेश को बड़ी राहत दी है। 15वें वित्त आयोग ने वर्ष 2020-21 के लिए 19,309 करोड रुपए वार्षिक अनुदान की सिफारिश की है। इसी के फलस्वरूप वर्ष 2020-21 के लिए वार्षिक योजना परिव्यय 7,900 करोड रुपए है जोकि 2019-20 के योजना आकार 7,100 करोड रुपए से लगभग 11% अधिक है। लेकिन प्रदेश सरकार को अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा अपने कर्मचारियों पर खर्च करना पड़ता है। दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के साथ सामंजस्य बैठाने के लिए काफी पैसा खर्च करना पड़ता है।
लेकिन फिर भी प्रदेश सरकार की कुछ सफलतम योजनाओं में सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्रणाली का अभूतपूर्व विस्तार,
हिमाचल गृहणी सुविधा योजना, सहारा, रोशनी, सौर सिंचाई योजना, हिमाचल पुष्प क्रांति
योजना, नई-राहें,
नई-मंजिलें योजना, मुख्यमंत्री नूतन पाली हाउस योजना,
मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना, मातृ एवं शिशु कल्याण, मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष तथा नशे के प्रति जीरो
टॉलरेंस की नीति इत्यादि योजनाओं को शामिल किया जा सकता है।
मार्च
2020 से
हिमाचल प्रदेश में भी कोरोना वायरस का
प्रकोप देखने को मिला। जिसके कारण प्रदेश सरकार द्वारा अपनी संपूर्ण ऊर्जा
प्रदेशवासियों को इस वायरस से बचाने पर केंद्रित करनी पड़ी। निश्चित तौर पर इस
महामारी का असर प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा।
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी-
वर्ष 1948 में प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय कितनी थी? - 240 रुपए
1948 में राज्य सकल घरेलू उत्पाद कितना था? - 26 करोड़ रुपए
वर्ष 1948 में प्रदेश साक्षरता दर क्या थी? - 7%
हिमाचल प्रदेश
की अर्थव्यवस्था मुख्यतः किस पर निर्भर है?- कृषि, बागवानी तथा पर्यटन
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश की कितनी प्रतिशत आबादी ग्रामीण परिवेश में
जीवन यापन करती है? - 89.96 %
हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहला पेपरलेस बजट किसके द्वारा पेश किया गया? - मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर
हिमाचल प्रदेश
के इतिहास में पहला पेपरलेस बजट कब पेश किया गया? - 06 मार्च 2020
हिमाचल प्रदेश
को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त किए हुए वर्ष 2020-21 में कितने वर्ष
पूरे हो जाएंगे? - 50 वर्ष
भारतीय जनता
पार्टी के अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा हिमाचल प्रदेश के किस जिला से संबंध रखते
हैं? - जिला बिलासपुर
धर्मशाला में 7, 8 नवंबर 2019 को आयोजित इन्वेस्टर्स मीट के माध्यम से
कितने करोड़ रुपए के निवेश समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर हुए? - 97,700 करोड़ रुपए
हिमाचल प्रदेश
कब अस्तित्व में आया था? - 15 अप्रैल 1948
15 अप्रैल 2020 को हिमाचल प्रदेश को अस्तित्व में आए
हुए कितने वर्ष पूरे हो गए? - 72 वर्ष
स्वतंत्रता
प्राप्ति के कितने माह (महीने) बाद हिमाचल प्रदेश अस्तित्व में आया था? - 8 माह बाद
हिमाचल प्रदेश
के प्रथम मुख्य आयुक्त कौन बने थे? - श्री
एन. सी. मेहता
हिमाचल प्रदेश
के प्रथम उप-राज्यपाल कौन बने थे? - मेजर जनरल एम.एस.
हिम्मत सिंह
भारत के
राष्ट्रपति द्वारा 'ग' श्रेणी राज्य
अधिनियम-1951 कब पारित किया गया? - 6 सितंबर 1951
हिमाचल प्रदेश
को किस वर्ष 'ग' श्रेणी
राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ? - वर्ष
1952
लोकसभा में
हिमाचल प्रदेश एक्ट-1970 कब पास किया गया? - 18 दिसंबर 1970
किस दिग्गज नेता ने सबसे ज्यादा बार (6 बार) हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला? - श्री वीरभद्र सिंह
हिमाचल प्रदेश
सरकार द्वारा शुरू की गई सेवाएं “गुड़िया हेल्पलाइन - 1515” तथा “शक्ति बटन एप” का मुख्य
उद्देश्य क्या है? - महिलाओं की
सुरक्षा
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा वन
माफिया, खनन माफिया तथा ड्रग माफिया के विरुद्ध सख्ती से
निपटने के लिए किस नाम से हेल्पलाइन जारी की गई है? - होशियार सिंह हेल्पलाइन - 1090
Comments
Post a Comment